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पिथौरागढ़ जनपद में पहली बार कोर ऑफ़ इंजीनियर का स्थापना दिवस मनाया गया

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पिथौरागढ़ – जनपद में इंजीनियर ग्रुप के पूर्व सैनिकों द्वारा कोर ऑफ़ इंजीनियर का 245 वां स्थापना दिवस पहली बार पिथौरागढ़ के सुमंगलम बैनकट हॉल में सादगी के साथ मनाया गया

सबसे पहले पूर्व सैनिक राजेन्द्र बल्लभ जोशी, अध्यक्ष द्वारा सभी सम्मानित सदस्यों का अभिनन्दन कर स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनायें दी गई, उसके बाद वरिष्ठ और मुख्य अतिथियों सूबे. भूपाल दत्त भट्ट, सूबे. मेजर गिरधर सिंह खनका और सूबे. दिवानी चंद शाही  का बैच अलंकृत कर सम्मान किया गया.

उसके बाद सूबे. मेजर दिवाकर सिंह बोहरा साहब द्वारा कोर ऑफ़ इंजीनियर के इतिहास के बारे में प्रकाश डाला गया

कोर ऑफ़ इंजीनियर का इतिहास

भारतीय सेना की कोर ऑफ़ इंजीनियर की स्थापना 1780 में मद्रास में हुई थी. कोर ऑफ़ इंजीनियर का वर्तमान स्वरूप 18 नवंबर 1932 को मद्रास, बंगाल और बॉम्बे सैपर्स के विलय के बाद हुवा. 1947 में विभाजन के बाद ब्रिटिश अधिकारी E-in-C के पद पर 1957 तक बने रहे. 1960 में मेजर जनरल हरकीरत सिंह ने कमान संभाली और 1965 तक उन्होंने E-in-C के रूप में कार्य किया. वर्तमान में लेफ्टिनेंट जनरल विकास रोहेला, SM*** *E-in-C के पद पर आसीन हैं.

*कोर ऑफ़ इंजीनियर भारतीय सेना की सबसे पुरानी शाखाओं में से एक है. इंजीनियर का मुख्य उद्देश्य युद्ध क्षेत्र में और राष्ट्र निर्माण में इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करना है. इंजीनियर मुख्य रूप से लड़ाकू इंजीनियरिंग की भूमिका निभाती है, जिसमें पुल बनाना, सड़क बनाना, हवाई अड्डे बनाना और हवाई अड्डे का निर्माण करना और बारूदी सुरंगों का निर्माण करना और उनको विध्वंस करना शामिल है. इंजीनियर की IWT यूनिट भी भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो जलीय वातावरण में परिचालन क्षमता और युद्ध क्षेत्र में रसद पहुंचाने, सैन्य वाहनों और भारी उपकरणों को जल मार्ग से युद्ध क्षेत्रों तक पहुंचाने का काम करती है. इसके अलावा बम डिस्पोजल कंपनी भी भारतीय सेना की सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है. बम डिस्पोजल के जवान पुराने लगाए विस्फोटों को निष्क्रीय करने और नई IED लगाने एवं उनको सुरक्षित रखने का काम करती है. इसके अलावा इंजीनियर MES, GREF और सैन्य प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण इंजीनियर संगठनों का संचालन भी करती है जो राष्ट्र निर्माण में सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का निर्माण एवं उनका रखरखाव करती हैं.

*कोर ऑफ़ इंजीनियर का युद्ध, खेल जगत और एडवेंचर एक्टिविटीज में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इंजीनियर ने देश के लिए लड़ी गई सभी लड़ाई में हिस्सा लिया है. स्वतंत्रता से पूर्व से लेकर आज तक कोर ऑफ इंजीनियर ने कई बैटल ऑनर और वीरता पदक प्राप्त किए हैं. इनमें से मुख्य हैं :- 80 युद्ध सम्मान, 11 थिएटर सम्मान, 15 विक्टोरिया क्रॉस, 1 मिलिट्री क्रॉस, 1 महावीर चक्र, 1 अशोक चक्र, 17 वीर चक्र, 8 कीर्ति चक्र, 35 शौर्य चक्र, 1पद्म भूषण, 2 पद्मश्री और 300 से अधिक अन्य पदक शामिल हैं. खेल जगत में भी इंजीनियर ने 1 मेजर ध्यानचंद पुरस्कार और 11 अर्जुन अवार्ड जीते हैं. इन अर्जुन अवार्ड में से दो अर्जुन अवार्ड स्वर्गीय  हरि दत्त कापड़ी साहब और कैप्टन सुरेंद्र सिंह बल्दिया इसी जनपद से हैं.

*इंजीनियर के तीनों सैपर्स को राष्ट्रपति ध्वज से भी सम्मानित किया जा चुका है. बंगाल सैपर्स को 12 जनवरी 1989 में, बॉम्बे सैपर्स को 21 फरवरी 1990 में और मद्रास सैपर्स को 20 मार्च 1990 को सम्मानित किया जा चुका है. इंजीनियर ने एक सेनाध्यक्ष भी दिया है, 2022 में जनरल मनोज पांडे, PVSM, AVSM, VSM, ADC इंजीनियर से पहले चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ बने, जो बॉम्बे सैपर्स की 117 इंजीनियर रेजिमेंट से थे

*कोर ऑफ इंजीनियर का logo सर्वत्र है जो सेना मे इंजीनियर की हर जगह पर अपनी उपस्थिति दर्शाता है*.

*सूबे मेजर दिवाकर बोहरा  द्वारा अपने सम्बोधन मे सभी पूर्व सैनिकों को सामाजिक कार्यों और राष्ट्र हित कार्यों मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील भी की.

*आज के समारोह में कैप्टन उमेश चंद फुलेरा, कैप्टन महेश चंद जोशी, सूबे. महेंद्र सिंह, सूबे. आन सिंह,  सूबे. श्याम विश्वकर्मा, पूर्व सैनिक आनंद सिंह, देवेंद्र भट्ट के अलावा और भी कई पूर्व सैनिक उपस्थित रहे

*अंत मे जलपान के बाद भारत माता की जय और कोर ऑफ़ इंजीनियर की जय के जयकारों के साथ समारोह का समापन किया गया.

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